रविवार, 27 जुलाई 2008

सावधान! खुशबू से हो सकता है खतरा

हम सुगंधों को जितना जानते हैं, उनसे किसी खतरे का गुमान नहीं होता। इत्र-फुलेल और विदेशी सेंटों के रूप में मिलने वाली सुगंधों से लोगों की सुरुचि का ही अहसास होता है। पर इधर सुगंधों से खतरे की बू आने लगी है।

ये सुगंधें सिर्फ इत्र या सेंट की शीशियों में नहीं हैं, ये हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काम आने वाली तमाम चीजों में समाई हैं। जैसे कि डियो, कपड़े धोने के साबुन, एयर फ्रेशनर, मॉस्किटो रिपलेंट या खुशबूदार पेन-पेंसिल-कागज़ वगैरह। कुछ अरसा पहले तक घरेलू उपयोग की इन चीज़ों में अलग से कोई सुगंध नहीं डाली जाती थी। पर अब कुछ डिटर्जन्ट, साबुन वगैरह में भी अपनी खास सुगंध होती है। यह मनमोहक महक ज़ाहिर है, उन उत्पादों को इस्तेमाल करने वालों को अच्छी लगती है, जब तक कि उन्हें उससे कोई एलर्जी न हो।

पर साइंटिस्टों ने ऐसी सुगंधों को खतरनाक पाया है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के विज्ञानियों ने एक व्यापक शोध में पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स, एयर फ्रेशनर्स और लॉन्ड्री प्रॉडक्ट्स के सुगंधित बनाए गए विभिन्न ब्रैंड्स को विषैला और इंसानों की सेहत के लिए खतरनाक माना है। खतरे की वजह इन प्रॉडक्ट्स में सुगंध पैदा करने के लिए इनमें मिलाए गए वे रसायन हैं, जो पहले नहीं इस्तेमाल होते थे- एसिटोन, लाइमोनेन, एसिटिल्डिहाइड और 1,4-डायऑक्सेन आदि जैसे रसायन खुशबू पैदा करते हैं।

हालांकि शोध में इन रसायनों की वजह से सेहत पर पड़ने वाले असर का अध्ययन नहीं किया गया है, पर कुछ दूसरी रिसर्च से पता लगता है कि खुशबूदार उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले बहुत से लोग कुछ विशेष किस्म की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की शिकायत करने लगे हैं। इन परेशानियों की वजह जानना मुश्किल नहीं है। साबुन, डिटर्जन्ट या मच्छर भगाने वाले लिक्विड में पहले से ही तमाम केमिकल होते हैं और उनके खुशबूरहित ब्रैंड्स के इस्तेमाल से भी एलर्जी से लेकर दमा, कैंसर जैसी बीमारियों और न्यूरोलॉजिकल व जिनेटिक विकृतियों तक की आशंका होती है।

जब खुशबू पैदा करने के लिए इन उत्पादों में प्राकृतिक सुगंधों की जगह दूसरे केमिकल मिलाए जाते हैं, तो बीमारियों का खतरा भी और बढ़ जाता है। ऐसे में साइंटिस्टों की सलाह है कि किसी खुशबूदार प्रॉडक्ट की जगह अपनी स्वाभाविक गंध वाले उत्पाद ही खरीदें और जहां तक कमरे को महकाने वाले एयर फ्रेशनर की बात है, तो उसकी खुशबू के मुकाबले कमरे में आती स्वच्छ हवा ज़्यादा बेहतर है, क्योंकि उससे सेहत की सुगंध आती है।