शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

तनाव भगाओ, ज्यादा नंबर पाओ


हर राज्य में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। जैसे-जैसे परीक्षा के दिन करीब आएंगे, वैसे-वैसे स्टूडेंट्स के साथ ही उनके अभिभावकों के तनाव व व्याकुलता में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। लेकिन ध्यान देने की बात है कि कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो परीक्षा के फोबिया से प्रभावित हुए बिना मजबूत मनोबल और धैर्य के साथ तैयारी में जुटे रहते हैं। ऐसा आपके साथ भी हो सकता है, यदि आप व्यवस्थित रणनीति के साथ तैयारी को अंजाम दें। पहली बात है कि बोर्ड परीक्षा को भी सामान्य परीक्षाओं की तरह ही लें। तैयारी के लिए अभी भी आपके पास काफी समय है। कम समय और कम मेहनत के बावजूद यदि आप अपनी पढ़ाई और परीक्षा हाल की बेहतर रणनीति बना सकें, तो बेहतर रिजल्ट हासिल करना कोई कठिन काम नहीं है। जानिए ऐसे ही टिप्स, जो आपको दिला सकते हैं जीत

बनाएं सही रणनीति
अंतिम एक माह की रणनीति बनाने से पहले जरूरी है कि आप अपनी क्षमताओं का सही आकलन करें। यदि आप अभी तक अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं, तो परीक्षा से पहले एक-दो सप्ताह का समय उन विषयों को समझने में दें, जिन पर आपकी पकड़ कमजोर है या जिन्हें याद करने में परेशानी होती है। पढ़ाई मेें कमजोर छात्रों के लिए यह समय किसी भी दृष्टि से नए-नए तरीके आजमाने का नहीं है। जिन विषयों पर आपकी पकड़ मजबूत हैं, उन्हें इस तरह तैयार कर लें कि उसमें से पूछे गए सभी प्रकार केप्रश्नों को हल करने में आप सक्षम हों। इसके अतिरिक्त यदि आप बारहवीं की परीक्षा के बाद होने वाली किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं, तो फिलहाल उसको २० से ३० प्रतिशत समय दें, बाकी समय बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों को देना ठीक रहेगा।

पढ़ाई में संतुलन बहुत जरूरी
पढ़ाई में संतुलन बहुत जरूरी है। इसके लिए रिकग्नाइज, रिवाइज, रेस्ट, रिलैक्स और रिएश्योर का ५ आर फार्मूला बहुत उपयोगी है। कैरियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा के अनुसार यह समय खुद को व्यवस्थित करने का है। तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए आप अपने सभी पाठ्यसामग्री और नोट्स को एक जगह एकत्रित कर लें। यदि आप इसे सही तरीकेसे कर लेते हैं, तो आपका डर ३० से ४० प्रतिशत कम हो जाएगा।

पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन
लगातार पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन भी जरूरी है। ऐसे में अपनी क्षमता केमुताबिक पढ़ाई के बीच थोड़ा-थोड़ा बे्रक भी लेना अच्छा रहता है। इलाहाबाद स्थित ज्वाला देवी विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य चिंतामणि सिंह बताते हैं 'ब्रेक का उद््देश्य दिमाग को आराम देना है। इससे आगे की पढ़ाई के लिए आप खुद को तैयार कर सकते हैं। अमूमन छात्र ब्रेक का सही इस्तेमाल नहीं करते। दोस्तों से फोन पर लंबी बातचीत, देर तक फिल्में देखने या कंप्यूटर पर वीडियो गेम खेलने में ही खुद को थका देते हैं। यदि आप गणित और विज्ञान केस्टूडेंट हैं, तो ब्रेक के समय का उपयोग आप नोट्स और फार्मूलों के रिवीजन में कर सकते हैं। पुस्तकों के अलावा अखबार आदि में दिए गए क्रॉस वर्ड या प्रॉब्लम्स को हल करने से भी दिमाग सक्रिय बनता है। इससे आप कम समय में संभावित हल सोचने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। लेकिन बे्रक की समय-सीमा का भी ध्यान रखना जरूरी है।

अभ्यास पर दें बल
पढ़ाई का कोई लाभ तब तक नहीं है, जब तक कि आप मॉडल सेंपल टेस्ट पेपर का अभ्यास न करें। थ्योरम्स या कंसेप्ट्स को लंबे समय तक स्मृति में बनाए रखने केलिए जरूरी है कि आप उनके एप्लीकेशन संबंधी प्रश्नों को हल करें। काउंसलर जतिन चावला कहते हैं कि अमूमन छात्रों में थ्योरम, फार्मूलों व परिभाषा को बिना समझे याद करने की प्रवृत्ति देखी जाती है। यह आसान तरीका अवश्य है, पर अंतिम समय में भूलने की गुंजाइश बढ़ जाती है। कई बार देखने को मिलता है कि स्टूडेंट किसी कोचिंग सेंटर के नोट्स लेकर उन्हें रटना शुरू कर देते हैं। बेहतर होगा आप पहले विषय को अच्छी तरह समझ लें। खासतौर पर एप्लायड प्रश्नों को हल करने केलिए यह बेहद जरूरी है।

लैंग्वेज और आर्ट पेपर
आट्र्स के विषयों की तैयारी का बेहतर तरीका है कि विषय को कहानी की तरह समझ लिया जाए। यदि पूरा उत्तर लिखने का समय नहीं है, तो रिवीजन के दौरान प्रश्नों के महत्वपूर्ण बिंदुओं को अवश्य लिखकर देखें। थ्योरी वाले प्रश्नों के उत्तर लिखने से पहले प्रश्न को अच्छी तरह पढ़ लें, उसके अनुरूप ही टू द पॉइंट उत्तर दें। अमूमन स्टूडेंट्स कम अंकों के प्रश्नों के लंबे उत्तर लिखने में समय व्यर्थ कर देते हैं, जिसस आखिरी में उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाना अच्छा है, पर इसमें परिवर्तन की गुंजाइश भी रखें। मान लीजिए आपने डेढ़ घंटे का समय किसी विषय के रिवीजन को दिया है और वह उतने समय में पूरा नहीं हो पा रहा है, तो आप घबराएं नहीं। जिस विषय को शुरू किया है उसे पूरा अवश्य कर लें।

(क्या करें क्या न करें)
क्या करें
जितना अभ्यास करेंगे, उतनी आसानी से सवाल हल कर पाएंगे। रिवाइज करने के दौरान महत्वपूर्ण बिंदुओं को लिख लें।
पाठ याद करने के लिए केवल रटिए नहीं, बल्कि विषय को समझिए भी।
समय सारिणी बनाएं। जिस विषय में आप कमजोर हैं, उसकी तैयारी में ज्यादा समय दें।
अगर किसी विषय की पढ़ाई में बोरियत होती है, तो तुरंत उसे छोड़कर दूसरा विषय पढ़ें।
पढ़ाई के लिए वही समय चुनें, जिस समय आपको परीक्षा देनी है। इससे आपके शरीर का बायोक्लॉक सेट हो जाएगा।
इस दौरान सुपाच्य भोजन और कम से कम छह घंटे की नींद जरूरी है। तभी आपका शरीर ठीक रहेगा।
अतीत को भूल जाएं। यह समझें कि आप जैसे हैं, उससे बेहतर कर सकते हैं। अच्छे की उम्मीद करें।
हमेशा खुश रहने की कोशिश करें। याद रखें, परीक्षा के लिए अपने को जितना बोझरहित करेंगे, आपके लिए उतना ही अच्छा होगा।
परीक्षा हॉल में शांत और तनावरहित होकर जाएं। ऐसे समय आत्मविश्वास ही आपकी मदद करता है।
आसान सवालों को पहले हल करने की कोशिश करें।
यह जान लें कि खूब पढऩे वाला नहीं, सवालों को सही तरीके से हल करने वाला ही बेहतर प्रदर्शन करता है।

क्या न करें
इन दिनों कठिन व्यायाम से दूर ही रहें। इस समय मामूली चोट भी घातक हो सकती है।
किसी नई किताब या स्टडी मैटीरियल से रिवीजन न करें। इससे आपकी तैयारियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अगर साथियों के साथ ग्रुप में तैयारी कर रहे हैं, तो लंबे डिस्कशन से यथासंभव बचने की कोशिश करें।
दूसरों के विचारों से खुद को कतई न आंकें। नकारात्मक भावनाएं या आशंकाएं मन में बिलकुल न आने दें।
तनाव बिलकुल न लें। ध्यान रखें, इस समय किसी भी तरह का मानसिक तनाव शारीरिक चोट की तुलना में अधिक घातक हो सकता है।
परीक्षा से पहले मनोरंजन एकदम बंद न करें। इससे आप चिड़चिड़े हो सकते हैं।
पढ़ाई से ब्रेक लेने के दौरान पढ़ाई के बारे में बिलकुल भी न सोचें। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
परीक्षा हॉल में जाने के बाद किसी से अनावश्यक बातचीत न करें। ऐसा कुछ न करें, जिससे आपकी एकाग्रता भंग होती है।
कठिन सवालों को पहले हल करने की भूल बिलकुल न करें। इससे आपका समय बरबाद हो सकता है और कुछ सवाल छूट सकते हैं।
परीक्षा हॉल से जल्दी कतई न निकलें। सवाल हल करने के बाद कुछ समय बचता है, तो अपनी पूरी कॉपी जांचें।

रविवार, 22 फ़रवरी 2009

पीछे की सवारी पर भी हेलमेट की तैयारी


सड़क दुर्घटना में एक आदमी की भी जान जाना उतना दुर्भाग्यपूर्ण है, जितना कि पुलिस की गोली से मरना। सूबे के मुख्यमंत्री की यह बात बिलकुल सही है। हर रोज गैर जिम्मेदार ड्राइव से बहुत लोग भगवान को प्यारे हो जाते है और घरवालों को रोने के लिए छोड़ जाते हैं। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतें तो इससे बचा जा सकता है। ऐसे में सीएम साहब का कहना कि प्रदेश में दुपहिया वाहनों पर पीछे बैठने वालों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य होना चाहिए काबिले तारीफ और सुरक्षा के लिए बहुत ही अच्छा कदम है। आज के युवा हेलमेट का प्रयोग सुरक्षा के लिए करने के बजाय चालान से बचने के लिए करते है। हो सकता है कभी-कभार मैंने या आपने भी ऐसी गलती की हो। लेकिन यह बहुत की गलत बात है। बस एक छोटा सा बोझ हमसे हमारी जिंदगी छिन लेता है। तो क्या हमें हेलमेट सिर्फ चालान से बचने के लिए करना चाहिए? नहीं। हेलमेट का प्रयोग हमें हर समय करना चाहिए चाहे हम पास के बाजार में ही क्यों न जा रहे हो। इस मामले में लड़कियों का तो बहुत ही ज्यादा गैर जिम्मेदाराना रवैया है। सुंदर दिखने की चाहत में वो तो इसे शायद बोझ समझती हैं और इसका प्रयोग कम ही करती है। पुलिस वाला भी तो उनसे कुछ नहीं कहता। बस लड़की एक बार मुस्कुरा क्या गई खुश। कोई चालान नहीं जाओ। भई ऐसा क्यों? इस मामले में पुलिस और हम सभी को एक बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी तभी जाकर ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। तो आप सभी से गुजारिश है कि आप जब भी बाहर निकलें हेलमेट लगाने के साथ ही यातायात के नियमों का पालन करें।