रविवार, 22 फ़रवरी 2009

पीछे की सवारी पर भी हेलमेट की तैयारी


सड़क दुर्घटना में एक आदमी की भी जान जाना उतना दुर्भाग्यपूर्ण है, जितना कि पुलिस की गोली से मरना। सूबे के मुख्यमंत्री की यह बात बिलकुल सही है। हर रोज गैर जिम्मेदार ड्राइव से बहुत लोग भगवान को प्यारे हो जाते है और घरवालों को रोने के लिए छोड़ जाते हैं। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतें तो इससे बचा जा सकता है। ऐसे में सीएम साहब का कहना कि प्रदेश में दुपहिया वाहनों पर पीछे बैठने वालों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य होना चाहिए काबिले तारीफ और सुरक्षा के लिए बहुत ही अच्छा कदम है। आज के युवा हेलमेट का प्रयोग सुरक्षा के लिए करने के बजाय चालान से बचने के लिए करते है। हो सकता है कभी-कभार मैंने या आपने भी ऐसी गलती की हो। लेकिन यह बहुत की गलत बात है। बस एक छोटा सा बोझ हमसे हमारी जिंदगी छिन लेता है। तो क्या हमें हेलमेट सिर्फ चालान से बचने के लिए करना चाहिए? नहीं। हेलमेट का प्रयोग हमें हर समय करना चाहिए चाहे हम पास के बाजार में ही क्यों न जा रहे हो। इस मामले में लड़कियों का तो बहुत ही ज्यादा गैर जिम्मेदाराना रवैया है। सुंदर दिखने की चाहत में वो तो इसे शायद बोझ समझती हैं और इसका प्रयोग कम ही करती है। पुलिस वाला भी तो उनसे कुछ नहीं कहता। बस लड़की एक बार मुस्कुरा क्या गई खुश। कोई चालान नहीं जाओ। भई ऐसा क्यों? इस मामले में पुलिस और हम सभी को एक बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी तभी जाकर ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। तो आप सभी से गुजारिश है कि आप जब भी बाहर निकलें हेलमेट लगाने के साथ ही यातायात के नियमों का पालन करें।

2 टिप्‍पणियां:

Himanshu Pandey ने कहा…

मैं तो नहीं कहूंगा कि पुलिस लड़की की एक मुस्कराहट पर सबको छोड़ दिया करती है, पर लड़कियों और पुलिस दोनों को जिम्मेदार तो होना ही चाहिये.

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी समझाईश दी.