गुरुवार, 11 सितंबर 2008

लव मैरिज में पैरंट्स का 'रेड सिग्नल'?

आपको किसी से प्यार हो सकता है, लेकिन अपने लवर से शादी का फैसला लेने से पहले आपके लिए अपने पैरंट्स की हां या ना कितनी अहमियत रखती है? हाल ही में माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले युवकों की मदद के लिए देश की अदालतें आगे आई हैं। कई कपल्स ने सुरक्षा के लिए कोर्ट से गुहार लगाई है और वहां से उन्हें सिक्युरिटी मुहैया भी कराई गई है।
इससे पता चलता है कि कुछ पैरंट्स अभी भी लव मैरिज़ के मामले में लकीर के फकीर हैं। वैसे कई कपल्स ने अपने पैरंट्स के विरोध को नजरअंदाज़ कर अपने प्यार को शादी का जामा पहनाया है। लेकिन ऐसा कोई फैसला लेने से पहले आपका फाइनैंशली और मेंटली स्ट्रॉन्ग होना काफी जरूरी है। टीनएजर स्टूडेंट श्रुति का कहना है, 'अगर मैं किसी दूसरी कास्ट के लड़के से प्यार करती हूं और वह किसी अच्छी फैमिली से है, पढ़ा-लिखा है और अच्छी कमाई कर रहा है। लेकिन मेरे परिवार को दूसरी जाति का होने के कारण हमारी शादी पर ऐतराज है तो भी मैं उस लड़के से शादी जरूर करूंगी। लेकिन अगर फैमिली को कास्ट के अलावा किसी दूसरी चीज पर ऑब्जेक्शन है तो मैं अपने फैसले पर दोबारा जरूर सोचूंगी।'
थिएटर पर्सन मनीष शर्मा का मानना है, 'कुछ पैरंट्स को अपने बच्चों के हरेक काम से कुछ न कुछ प्रॉब्लम होती है।' उनका कहना है, 'कम से कम मेरे पैरंट्स मेरे फैसलों को लेकर काफी कूल रहते हैं। अगर वह मेरी गर्लफ्रेंड को अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं तो भी मैं उससे शादी कर लूंगा। वक्त सारे घावों को भर देता है।'
मशहूर आईटी कंपनी में बिज़नस डिवेलपमेंट मैनेजर के रूप में काम कर रहे प्रशांत आनंदमूर्ति का मानना है, 'अगर मेरे पैरंट्स को मेरी लव मैरिज़ से कोई ऐतराज है तो भी मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी जरूर रचाऊंगा। वह मुझे मेरी ड्रीमगर्ल से शादी करने से रोक नहीं सकते।' उनका कहना है, 'हो सकता है कि उनको मेरी पसंद अच्छी न लगे, लेकिन वह मुझे उसे अपना बनाने से रोक नहीं सकते। मेरे पिता इस मुद्दे पर मुझसे बहस कर सकते हैं, लेकिन मुझ पर कोई दबाव नहीं डाल सकते।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी माना, 'बेशक शादी पर्सनल मामला हो, लेकिन अगर लव मैरिज़ से पहले फैमिली का सपोर्ट मिल जाता है तो काफी अच्छा लगता है।'
कई कपल्स एक-दूसरे को चाहते हुए भी पैरंट्स की मर्जी के बगैर शादी नहीं कर पाते। वकील जया कोठारी कहती हैं, 'अगर आप वयस्क हैं तो आप अपने फैसले खुद ले सकते हैं। इंडिया में अधिकतर लड़कियों की शादी 18 से 21 साल की उम्र में हो जाती है, जबकि कुछ लड़कियों की शादी इससे भी छोटी उम्र में हो जाती है। इस उम्र में बहुत से टीनएजर्स अपनी फैमिली के साथ ही रहते हैं। कई बार बच्चों की पसंद उनके पैरंट्स को नहीं जंचती। हम कह सकते हैं, करीब 30 पर्सेन्ट प्रेमी जोड़ों के अलग होने में उनके पैरंट्स की नापसंदगी का योगदान होता है।
मीडिया प्रफेशनल पल्लवी रजत कहती हैं, 'मेरे पैरंट्स को मेरी पसंद के लड़के पर ऐतराज हो सकता है। लेकिन अगर मुझे अपने सपनों के शहजादे पर पूरा भरोसा है तो मैं उससे शादी करने में देर नहीं लगाऊंगी। उस हालत में भी मैं अपने अभिभावकों को निश्चित रूप से मिस करूंगी और उनसे समझौता करने की हर संभव कोशिश करूंगी। जब मेरे माता-पिता मुझे खुश देखेंगे तो वह भी खुश हो जाएंगे।'
मैरिज काउंसलर पीसी मैथ्यूज का मानना है, 'भारत में शादी का मतलब दो परिवारों का एक-दूसरे के नजदीक आना है। अगर कोई बड़ी परेशानी नहीं है तो विवाह के लिए पैरंट्स की मंजूरी जरूर लेनी चाहिए। अगर लड़का-लड़की माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करते हैं तो उन्हें ज़िंदगी में आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए मैच्योर होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें पैरंट्स के रजामंद होने का इंतजार करना चाहिए। आखिरकार माता-पिता बच्चों की खुशी ही चाहते हैं।'

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