मंगलवार, 27 जनवरी 2009

विजय अभियान बरकरार रखने चाहेगा भारत


कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में जोश से भरी टीम इंडिया श्रीलंका के खिलाफ होने वाले पहले वनडे क्रिकेट मैच में जीत के साथ सीरीज का जोरदार आगाज करने के इरादे से उतरेगी। भारतीय टीम पांच मैचों की इस सीरीज में भी गत वर्ष के अपने उसी प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी, जिसमें उसने श्रीलंका को 3—2 से मात दी थी। इस लिहाज से सीरीज के पहले मैच में जीत दर्ज करना जरूरी होगा। हालांकि, भारत ने एक महीने से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है। लेकिन, इस दौरान घरेलू क्रिकेट में खेलने से उसके अधिकतर खिलाडी श्रीलंका का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस सीरीज का कार्यक्रम ही भारत का पाकिस्तान दौरा रद्द होने के बाद आनन—फानन में बना है। लेकिन, भारत को श्रीलंकाई टीम की मौजूदा फार्म को देखते हुए सावधान रहना होगा। श्रीलंका ने गत दिनों पाकिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई दोनों सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की है।
महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व में भारत ने खेल के दोनों प्रारूपों में जबर्दस्त फार्म बनाए रखा है। इंग्लैंड पर घरेलू सीरीज में 5-0 से जीत ही उसके फार्म की बानगी पेश करने के लिए काफी है। दूसरी ओर श्रीलंकाई टीम और कप्तान महेला जयवर्धने खराब दौर से गुजर रहे हैं। जिम्बाब्वे जैसी अदना सी टीम के खिलाफ उन्हें संघर्ष करना पड़ा और बांग्लादेश ने ढाका में त्रिकोणीय सीरीज में श्रीलंका को एक मैच में हराया। हालांकि पाकिस्तान में तीन मैचों की वनडे मैचों की सीरीज में पहला मैच हारने के बाद लगातार दो जीत दर्ज करके श्रीलंकाई टीम ने ढर्रे पर लौटने की कोशिश की।
धौनी के लिए चिंता का एकमात्र विषय अनुभवहीन स्पिन आक्रमण होगा क्योंकि ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह चोट के कारण नहीं जा पाए हैं। हैदराबाद के बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने अभी तक पांच ही वनडे खेले हैं जबकि सौराष्ट्र के हरफनमौला रविंदर जडेजा पहला ही मैच खेलेंगे। हरभजन की गैर-मौजूदगी से हुए नुकसान का धौनी को इल्म है लेकिन उनके पास सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह जैसे कामचलाऊ स्पिनर हैं।
हरभजन पिछले काफी समय से टीम इंडिया में प्रमुख स्पिनर है। लेकिन अब उनके न होने से टीम में प्रज्ञान ओझा और रविंदर जडेजा के रूप में दो स्पिनर हैं। वे हरभजन सिंह की कमी पूरी करने की कोशिश करेंगे। टीम इंडिया में अनियमित गेंदबाज भी हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके पास खुद को साबित करने का मौका है। भारतीय टीम के बेहतरीन फार्म के बावजूद कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है। खासकर श्रीलंका को उसी के घर में हराना आसान नहीं है हालांकि टीम इंडिया ने पिछले साल उसे हराया था।
कागजों पर तो पलड़ा भारत का ही भारी लग रहा है। उसके पास दिल्ली के वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसी सलामी जोड़ी है जो जबर्दस्त फार्म में है। बढ़ती उम्र के बावजूद सचिन तेंदुलकर की रनों की भूख कम नहीं हुई है। वहीं युवराज सिंह की आक्रामक बल्लेबाजी का कोई सानी नहीं। युवाओं में सुरेश रैना और रोहित शर्मा अपनी काबिलियत पहले ही साबित कर चुके हैं। निचले क्रम पर लप्पेबाजी के लिए यूसुफ पठान होंगे। गेंदबाजी में जहीर खान और ईशांत शर्मा नई गेंद से कहर बरपाने का दम रखते हैं। गेंदबाजी के मोर्चे पर श्रीलंका भी कमजोर नहीं है। नुवान कुलशेखरा इस समय आईसीसी वनडे रैंकिंग में दूसरे नंबर पर है।
सभी की नजरें हालांकि उनके स्पिनर आक्रमण पर रहेगी। अनुभवी मुथैया मुरलीधरन को वसीम अकरम के 502 वनडे विकेट के आंकड़े तक पहुंचने के लिए सिर्फ तीन विकेट की जरूरत है। इसके साथ ही वह क्रिकेट के दोनों प्रारूपों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बन जाएंगे। दूसरे छोर पर अजंथा मेंडिस के रूप में रहस्यमयी गेंदबाज है।
टीमें:
भारत: महेंद्र सिंह धौनी [कप्तान], गौतम गंभीर, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, रोहित शर्मा, सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, रविंदर जडेजा, जहीर खान, प्रवीण कुमार, प्रज्ञान ओझा, मुनफ पटेल, इरफान पठान, यूसुफ पठान और ईशांत शर्मा।


श्रीलंका: महेला जयवर्धने [कप्तान], कुमार संगकारा, सनथ जयसूर्या, उपल थरंगा, चामरा कापूगेदारा, जेहान मुबारक, तिलकरत्ने दिलशान, थिलिना कदांबी, मुथैया मुरलीधरन,अजंथा मेंडिस, फारवेज महरूफ, दिलहारा फर्नाडो, नुवान कुलशेखरा, थिलन थुषारा और एंजेलो मैथ्यूज।

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